रविवार, मई 13, 2012

कुछ बातें तीसरे साल की..




ल रात हमारी फ़ोन पर अच्छी खासी बात हई, और कल रात उसने उससे बात नहीं की, वरना वो लोग सारी रात बात करते थे,आज मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है,वैसे तो हम हफ्ते में तीन चार दिन मिल ही लेते है पर आज न जाने ऐसा लग रहा है की आज पारुल ने उसे नहीं बुलाया होगा, वैसे मै और पराग बहुत अच्चे दोस्त है, मेरा नाम प से क्यों चालू नहीं हुआ,जब भी मै प से नाम वाले किसी लड़के से मिलता हूँ, तो मन ही मन पारुल के साथ उसे खड़ा कर के देखता हूँ, की उनकी जोड़ी कैसी लगेगी |

मेरी बदकिस्मती ये थी की मेरे स्कूल में स नाम से शुरू होने वाली कोई लड़की नहीं थी, यह बदकिस्मती कॉलेज में भी जारी रही, लड़की तो थी पर सुन्दर नहीं जितनी पारुल है, उतनी नहीं की जिसे सोच-सोच कर रात भर कविता लिखा जाये, उतनी नहीं की जिसका नाम लेकर हसीं सपनो में खोया जाये, उतनी नहीं जिसे सोच कर सुबह कड़ाके की ठण्ड में रजाई से निकलने का साहस कर सकूँ |

मै पारुल के कहे अनुसार स्टेशन पहुँच चूका था, अभी तक पराग नहीं आया है, तभी सामने से पारुल आते हुए दिखाई दी, और जैसे हमेशा होता है मेरे हाथ पैर जैसे बर्फ से जम गए, और हमेशा की तरह मुझे कुछ बोलने का मौका न देते हुए उसने बोलना शुरू किया, आज बहुत थक गयी हूँ, आज ये क्लास थी वो क्लास थी उसकी बातें मुझे याद नहीं, कुछ देर अपनी व्यथा सुना लेने के बाद उसने आखिर पूछा कैसे हो, मैंने औपचारिक रूप से जवाब देते हुए कहा अच्छा हूँ, इतना कहने की देरी थी फिर उसने अपनी कहानी शुरू कर दी जिसने उसे अकेले मिलने पर मजबूर कर दिया था |

वह बोली आजकल पराग का मोबाइल रात को व्यस्त बताता है और वो पहले की तरह बात भी नहीं करता,लगता है वो किसी और लड़की से बात करता है,उसने एक दिन बताया भी था की रेणु नाम की लड़की उसकी अच्छी दोस्त है |

उसका इतना कहना था और मेरी सारी खुशी काफूर हो गयी मैंने सोचा था उसने मुझे अकेले मिलने के लिए बुलाया है,मुझे अब अपने पर गुस्सा आने लगा मुझे पहले क्यों नहीं पुछ लिया की पराग क्यों नहीं आया है?

और इसके बाद उस मतलबी लड़की ने जो कहा मैं सुन नहीं पाया क्योंकि मेरे काम सुन्न हो गए थे,मुझे बस तेज आवाज से सुन्न करके ध्वनि सुनाई दे रही थी,मुझे उसके ट्रेन के आने की आवाज़ भी कम आने लगी,मेरे कान लाल हो गए मेरा सर घूम गया ,मैं क्या सोचकर इससे मिलने आया था ,और वो मेरा इस्तेमाल अपने प्यार परखने में कर रही थी ,ट्रेन में चढ़ने के बाद उसने मुझे बाय किया और कहा जल्दी फोन करना ,जैसे तैसे उसे विदा करके मैं अपने रूम के तरफ कदम बढ़ाया ,मैं गुस्से से तर-बतर इतना तो तय कर चूका था जो वो करने बोली नहीं करूँगा |

मैं स्टेशन से लेकर सीधे घर पहुचने तक होश में नहीं रहा, पता नहीं कैसे घर पंहुचा और मेरे कमरे में दो लोग बैठे हुए थे, मेरा रूममेट और पराग, मेरा मन पारुल के लिए घृणा से भर गया, क्या करूँ सोचते हुए अपने पलंग पर लेट गया |

तभी पराग मुझसे कहता है, यार मेरा पारुल से ब्रेकअप करवा दे यार, मैंने कारण जानना चाहा, उसने कहा असल में मुझे भी नहीं पता यार, मैं बाद में तुझे अच्छे से सब बताऊंगा, अभी मेरा दिमाग इस स्थिति में नहीं है की तुझे इतना सब दिमाग से खोद-खोद कर बताऊँ, बस मेरे लिए तू करना चाहे तो इतना कर सकता है की मेरा ब्रेकअप करवा दे यार, मेरे रूममेट ने भी इसका कारण उससे जानना चाहा पर वो अभी कुछ नही बता रहा था | उसका मेसेज आया हुआ था, जल्दी बता न मीनू, पूछा क्या?? कभी-कभी वह मुझे मीनू बोलती थी ,ये मौका आज बहुत दिन बाद आया था ,अब मैं छत में आ चुका था, पर अब सोचने की जरुरत क्या थी, तूरंत पारुल को मैंने कहा तुम्हारा शक सही निकला वो रेणु से मिलने गया था, इतना सुनना था की वो पराग को बुरा-भला कहने लगी, फिर बहुत सर खपाने के बाद उसने एक अच्छी बात कही अब हम उसकी बात कभी नहीं करेंगे, अब बस मैं और सिर्फ तुम रहेंगे, अब मैं उससे कभी बात नहीं करुँगी |

नीचे जाकर पराग को देखा तो लगा वो पारुल वाली बात भूल चूका था, उतना परेशान नहीं दिख रहा था जितना पहले दिख रहा था| मैंने उसको बता दिया की मैंने पारुल को बोल दिया है तू रेणु से मिलने गया था, मेरा इतना कहना था वह बिदक पड़ा, तू उसको ऐसा क्यों रेणु के बारे में बोल दिया, वो मेरे बारे में क्या सोच रही होगी यार, फिर काफी समझाने के बाद माना की अब वो कुछ भी सोचे उससे अब तेरे को को क्या करना है |

उसके जाने के बाद मैं अपने पलंग पर लेट गया आज काफी आराम लग रहा था,पारुल के बोले मीठे शब्द याद आ रहे थे “अब हम दोनों ही रहेंगे” ,मीठे-मीठे बाते सोचते कब नींद आ गयी, मेरी नींद खुली तब एहसास हुआ की मोबाइल रिंग हो रहा है |

पराग का कॉल था, उसने कहा मुझे अच्छा नहीं लग रहा है मैं घर जा रहा हूँ, मुझे आश्चर्य हुआ २ दिन पहले तो वो घर से आया है ,इतना जल्दी कैसे जा रहा है, मैं पारुल को बहुत प्यार करता हूँ उसे नहीं छोड सकता है क्या-करूँ बिलकुल अच्छा नहीं लगा रहा है, मैं पारुल को सब सच-सच बताने जा रहा हूँ, इसे पढ़ कर मेरे होश उड़ गए, तू कुछ मत कर यार, जो हो गया उसे जाने दे, मेरा दिल कहते हुए जोरो से धडकने लगा, तब वो बोला नहीं यार वो मेरा जल्दबाजी में लिया फ़ैसला था, मुझे ऐसा करके बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा है,मै उसको सब सच-सच बता दूँगा, फिर मैंने कहा नहीं यार ऐसा मत कर तू कुछ मत सोच हो सकता हो जो अभी तू सोच रहा है वो तेरा जल्दबाजी में लिए फ़ैसला हो| उसने कहा-ठीक है यार सोचता हू,अभी नहीं कहूँगा, मेरा मन इधर उधर भटक रहा है इसलिए मैं घर जा रहा हू कुछ समझ नहीं आ रहा है|

अब मेरा मन शांत हुआ और मैं पराग की ओर से निश्चिन्त हो गया की वो अब नहीं बताएगा उसे,अब मैं फिर मीठी-मीठी पारुल में खो गया,फिर ध्यान आया की कल कॉलेज में कैम्पस इंटरव्यू है ,पिछले बार मुझे सफलता नहीं मिली थी| बेहोशी में मीठे मीठे सपनो में मैंने रात का खाना खाया, मैं उस सुबह के बारे में सोचने लगा जब मैं नौकरी मिलने की खुशी अपने घर में दूँगा, पर उससे पहले पारुल को, और उससे कहूँगा जैसे वो पराग से रात भर बात करती है मुझसे भी करने को कहूँगा, और उससे कहूँगा की तू रोज मुझे सुबह फोन करके उठाया कर, उसके सुबह उठाने पर क्या दिन गुजरेगा, आज इतनी गर्मी में भी मुझे ठण्ड का एहसास हो रहा था, आज जो हो रहा था, आज से पहले कभी मैंने महसूस नहीं किया था, कल से मैं रोज स्टेशन जाऊंगा एक बार सुबह जब वो कॉलेज के लिए ट्रेन से पहुचेगी, और शाम को जब वो वापस घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन आएगी, साथ बैठकर उसके कॉलेज के कैंटीन में टिफिन खायेंगे |

सुबह आँख खुली तो पारुल ही पारुल ख्यालो में आ रही थी,बिस्तर से निकलने का मन नहीं कर रहा था,नींद भी पूरी नहीं हुई थी,किसी तरह तैयार हो कर कॉलेज के लिए निकला ,दिल बहुत खुश था,अगर आज सब कुछ ठीक रहा तो आज का दिन मेरे लिए सब से बड़ा दिन होगा |

आज किस्मत बहुत ही अच्छी लग रही थी जल्दी ऑटो भी मिली और मै लगभग कॉलेज पहुँच ही गया था,तभी फोन में रिंग आना शुरू हुआ मैंने जल्दी से देखा तो पारुल का ही था मैंने सोचा बेस्ट ऑफ लक बोलने के लिए ही फोन किया होगा, उसने कहा पराग का फोन आया था अब सब ठीक हो गया है, मैंने कहा तुमने उससे बात क्यों की इस पर उसने कहा अरे उसने अपनी गलती मान ली है, अच्छा मै रखती हूँ शाम को बात करती हूँ, उसने फोन रख दिया मैंने देखा मोबाइल पर कुछ मेसेज भी आया है पराग का था उसने लिखा था सॉरी भाई पता नहीं मुझे क्या हो गया था पर अब सब ठीक है मैंने पारुल को मना लिया है और कह दिया की कल शाम को मैंने ही बोलने को कहा था रेनू वाली बात |

यह सब होते तक मै क्लास रूम तक पहूँच चूका था, मै जैसे अंदर गया पेपर्स भी बांटे जाने लगे, मै अभी तक पराग का मेसेज बार-बार पढ़ रहा था, समझ नहीं आ रहा था ऐसा कैसे हो गया, अब पारुल ना जाने क्या सोचेगी मेरे बारे में, और जैसे सब कुछ सपनो में चल रहा है ऐसा लग रहा था, एक्सामिनेर सबको मोबाइल बंद करने को कह रहे थे और सभी अपने अपने पेपर्स पर टूट पड़े थे, मै अभी तक मोबाइल हाथ में रखे उसे देखे जा रहा था, फिर पता नहीं मेरे मन में क्या आय मेरे हाथ अपने आप मोबाइल पर मेसेज टाइप करने लगे और पराग और पारुल दोनों को फॉरवर्ड कर दिया फिर मैंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ किया और जैसे तैसे पेपर खत्म करके अपने रूम पहुच गया |

रूम पहुचते तक रिटन का रिजल्ट आ चूका था, मै अपना सामान पैक करके अपने घर निकल गया, बस भी जल्दी ही मिल गया, मोबाइल पर यार दोस्तों के फोन आने शुरू हो गये थे, सब मेरी असफलता और अपनी सफलता की कहानी कह रहे थे, कुछ देर बाद पराग के भी कॉल आने शुरू हो गए, मैंने कॉल नहीं लिया, १ से २ फिर ८-१० मिस कॉल के बाद पारुल के भी कॉल आने शुरु हो गए, कुछ मिस कॉल के बाद बस के इंजन के घरघराहट ही रह गयी, सारे रास्ते मै खुली आँखों से सोता रहा |

घर पहुँच कर मम्मी को देख कर अपने आप आँखों के किनारे कुछ गीलापन लगा, सभी कह रहे थे थे कोई बात नहीं और किसी कंपनी में सेलेक्ट हो जाओगे |
आज इस वाकये को ४ साल हो चुके हैं, आज भी मै पारुल को उसके जन्मदिन पर मेल करता हूँ, पराग आज भी अच्छा दोस्त है, पारुल और पराग की शादी हो चुकी है पर अलग-अलग |


              ऐसा भी होता है कभी-कभी यादें उतना दर्द नहीं देती, जब वो यादें नहीं थी |