वो मासूम थी,कमसिन थी,
उसकी छितिज को पार करने की उमंग,
मुझे कभी-कभी मायूस कर देती थी,
मुझे आज भी याद है वो दिन, मैं समंदर किनारे,
अकेले टहलने निकल जाया करता था,
और वो नाराज हो जाया करती थी.
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मेरे ब्लॉग पर आ कर अपना बहुमूल्य समय देने का बहुत बहुत धन्यवाद ..
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