जो भी है मन में..हाँ जो भी है मन में कह दो..
वाह.............बेहद खूबसूरत बात.........अनु
...बिलकुल सच..बहुत सुंदर रचना..
सुन्दर है भाई!!गुलज़ार साहब की एक त्रिवेणी याद आ गयी -"सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की मुस्कराए भी ,पुरानी किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था ,बस देख लिया रख भी दिया"
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।
very beautiful...
bahut-bahut sundar:-)
Bahut sundar!
लाजवाब ... पर हो सकता है कुछ मजबूरियाँ रही हों ...
bahut sundar! :)
मेरे ब्लॉग पर आ कर अपना बहुमूल्य समय देने का बहुत बहुत धन्यवाद ..
वाह.............
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत बात.........
अनु
...बिलकुल सच..बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसुन्दर है भाई!!
जवाब देंहटाएंगुलज़ार साहब की एक त्रिवेणी याद आ गयी -
"सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की
मुस्कराए भी ,पुरानी किसी पहचान की खातिर
कल का अखबार था ,बस देख लिया रख भी दिया"
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंvery beautiful...
जवाब देंहटाएंbahut-bahut sundar
जवाब देंहटाएं:-)
Bahut sundar!
जवाब देंहटाएंलाजवाब ... पर हो सकता है कुछ मजबूरियाँ रही हों ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar! :)
जवाब देंहटाएं